
फिल्म में खासकर गानों के चित्रांकन के दौरान प्रकाश के प्रभाव को सत्यजीत रे के बाद अगर किसी ने बखूबी अंजाम दिया तो वह गुरु दत्त ही थे। आप उनकी तमाम फिल्मों में प्रकाश के प्रभाव के सटीक उपयोग को देख सकते हैं। बाजी, जाल, टैक्सी ड्राइवर, मिस्टर एंड मिस्टर 55, प्यासा, कागज के फूल, साहब बीबी और गुलाम सहित तमाम फिल्मों में उनके फिल्मांकन के बारीकियों से रु-ब-रु हो सकते हैं। प्यासा में फिल्म में कवि विजय की तंगहाली को दिखाने के लिए उड़ते हुए कागज के टुकड़ों को सांकेतिक तौर पर दिखाया गया है, वह शायद हिन्दी सिनेमा संसार में आपको फिर कहीं नहीं दिखता है।
_स्वतन्त्र मिश्र
लेखक पत्रकार हैं और फिशमैन के नाम से जाने जाते हैं।
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