
वो लड़की
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वो लड़की सांवली सी है।
रसीले जामुनी से होंठ हैं चेहरे पे और उसकी।
बड़ी आंखें हैं डल* जैसी।
बहुत गहरी हैं वूलर* सी।
हंसे तो मोतियों जैसे चमकते दांत दिखते हैं।
बदन शब रंग* पत्थर की बहुत प्यारी सी मूरत है।
वह लड़की ख़ूबसूरत है।।।
सवेरे अपने घर की छत पे आती है तो दिखती है।
वही भीगी हुईं,बिखरी हुईं, महकी हुईं जुल्फें।
वही धोकर निचोड़े चन्द कपड़ों भरा इक टब।
कि जिसका इक सिरा पतली कमर पर रख के दूजे को।
वो अपने सुरमई बाज़ू में थामे रोज़ लाती है।
कमर ऊंची बनी दीवार पर रखती उठाती है।
बंधी रस्सी पे कपड़े सूखने को छोड़ जाती है।
उसे मालूम है मैं तकता रहता हूं उसे लेकिन।
नज़र मुझसे मिलाती भी नहीं और मुस्कुराती है।
मगर यह आज जाने क्या हुआ मुस्कान को उसकी???
खबर पाई कि उसको देखने आए थे फिर अंधे।
नज़र थी ही नहीं उनमें तो कैसे देख पाते वो।
कि उसके छांव रंग सीने में रौशन दिल धड़कता है।
मोहब्बत का बड़ा सा एक झरना शोर करता है।
सलीक़े की मुनव्वर कहकशा है रख-रखाव में।
अदा है, शर्म है, तहज़ीब भी है हाव-भाव में।
वो लड़की वक्त पर आती तो इक वीरान वादी में।
बाहर आकर नहीं जाती।
मिरे कमरे के इस लटके हुए मायूस शीशे में।
वो अपनी मांग भर पाती।
क़मरुद्दीन फ़लक-
डल=कश्मीर की सबसे बड़ी झील।
वूलर=कश्मीर की सबसे गहरी झील।
शबरंग= काला क़ीमती पत्थर /शनि/नीलम
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