
‘जसरंगी’ जनक को अंतिम प्रणाम
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28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में शास्त्रीय गायक पंडित मोतीराम के यहाँ एक बालक जसराज का जन्म हुआ। जब जसराज चार वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी । हिंदी फ़िल्मों के संगीतकार जतिन-ललित, गायिका एवं अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित और अभिनेत्री विजेयता पंडित के पिता पंडित प्रताप नारायण, जसराज के बड़े भाई थे ।
शुरू में जसराज ने अपने पिता से संगीत की दीक्षा ली, बाद में बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण से तबला संगतकार के रूप में प्रशिक्षित हुए लेकिन एक दुर्व्यहवार की घटना के कारण उन्होंने तबला को त्याग दिया और गायन में जाने की ठान ली। वे शास्त्रीय संगीत को अपनाने का श्रेय सुविख्यात गायिका बेगम अख्तर को देते थे ।
जसराज ने अपनी जवानी हैदराबाद में बिताई और मेवाती घराने के संगीतकारों के साथ संगीत का अध्ययन करने के लिए अक्सर गुजरात के साणंद की यात्रा करते थे। जसराज ने साणंद के ठाकुर साहिब महाराज जयवंत सिंह वाघेला से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
1946 में जसराज कलकत्ता चले गए, जहाँ उन्होंने रेडियो के लिए शास्त्रीय संगीत गाना शुरू किया। पंडित जसराज ने फिल्म निर्देशक वी० शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से शादी की, उनके दो बच्चे हैं, शारंग देव पंडित और दुर्गा जसराज। मधुरा शांताराम ने 2009 में संगीत मार्तंड पंडित जसराज पर एक फिल्म बनाई और 2010 में उनकी पहली मराठी फिल्म ‘ऐ तुझ आशिरवाड़’ का निर्देशन किया, जिसमें उनके पति और लता मंगेशकर ने मराठी में गीत गाया।
22 वर्ष के उम्र में पंडित जसराज ने नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह के दरबार में एक गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया।हालाँकि जसराज मेवाती घराने से संबंध रखते थे, लेकिन उन्हें ख्याल गायकी के पारंपरिक प्रदर्शन के लिए जाना जाता था, जसराज ने कुछ लचीलेपन के साथ ख्याली गायन किया था, जिसमें ठुमरी सहित हल्के शैलियों के तत्व शामिल थे।
जसराज ने ‘जसरंगी’ एक नवीन शैली को जन्म दिया । जसरंगी एक प्राचीन गायकी प्रणाली पर आधारित होती है जिसमें एक पुरुष और एक महिला गायक के बीच जुगलबंदी होती है जो एक ही समय में अलग-अलग राग गाते हैं।
शास्त्रीय संगीत के प्रदर्शन के अलावा, जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को भी लोकप्रिय बनाने के लिए काम किया।पंडित जसराज ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी गाने गाये थे। फ़िल्मों में प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत साल 1966 में शांताराम की फिल्म Ladki Sahyadri Ki में एक भजन से हुई थी जिसका संगीत वसंत देसाई ने दिया था।दूसरा गाना 1975 में आई फिल्म Birbal My Brother के लिए था। पंडित जसराज और भीमसेन जोशी ने राग मालकौस में जुगलबंदी की थी।पंडित जसराज ने विक्रम भट्ठ निर्देशित फिल्म ‘1920’ के लिए एक रोमांटिक गाना ‘वादा तुमसे है वादा’ गया था जिसका म्यूज़िक अदनान सामी ने कंपोज किया था।
पंडित जसराज को पद्म श्री,संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार,पद्म भूषण,पद्म विभूषण,संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और भी अनेकों पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया था ।
भारतीय संगीत के ये मुर्धन्य हस्ताक्षर संगीत में अपने विशिष्ट योगदान पे कहते थे- 'मैं नहीं मानता संगीत के क्षेत्र में मेरा कोई योगदान है'
बीबीसी हिंदी के साथ 2005 में एक बातचीत में अपनी संगीत यात्रा के बारे में पंडित जसराज ने कहा था, 'यह कह पाना बहुत कठिन है कि कितनी सांसें लेनी हैं, कितने कार्यक्रम करने हैं। मैं नहीं मानता कि संगीत के क्षेत्र में मेरा कोई योगदान है। मैं कहां गाता हूं। मैंने कुछ नहीं किया है। मैं तो केवल माध्यम मात्र हूं। सब ईश्वर और मेरे भाईजी की कृपा और लोगों का प्यार है। कई बार ऐसा होता है कि गाते-गाते स्वरों को खोजने लगता हूं, ढूंढने लगता हूं कि कहीं से कोई सुर मिल जाए। उस दिन लोग कहते हैं कि आपने तो आज ईश्वर के दर्शन करा दिए और जिस दिन मुझे लगता है कि मैंने बहुत अच्छा गाया, कोई पूछ बैठता है, पंडित जी, आज क्या हो गया था।'
' पर हाँ, मैं ये मानता हूं कि हर कलाकार, जो इस देश में पैदा हुआ और जिसने अपनी जगह बनाई है, उसका संगीत को एक बड़ा योगदान होता है। ये योगदान तो लोग ही सही-सही बता सकते हैं। कलाकार अपने योगदान को नहीं जान पाता। शास्त्रीय संगीत को लेकर होने वाले प्रयोगों पर पंडित जसराज ने कहा था, 'ये मेरी दृष्टि से किसी बड़ी बहस का विषय नहीं है। नए कलाकारों ने अपने स्तर पर मेहनत करके अपनी जगह बनाई है और आज एक बड़ी संख्या ऐसे कलाकारों को सुन रही है। कई कलाकारों ने अपने काम के जरिए शास्त्रीय संगीत के प्रसार को बढ़ाया है और दुनियाभर में लोग उनको सुन रहे हैं, यह सकारात्मक संकेत है।'
17 अगस्त 2020 अमरीका के न्यू जर्सी में अपने घर पर पंडित जी का दिल का दौरा पड़ने से देहांत हो गया ।
अब पंडित जसराज का संगीत और आवाज़ ब्रह्मणड में घुल मिल गया है,पंडित जी पहले सगुण थे,अब निर्गुण हो गए ।संगीत सम्राट "पंडित जसराज” को अंतिम प्रणाम ।।
चित्र - साभार the Hindu
- ज़िया हसन
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