
क्या साँप बदला लेते हैं? मैंने पूछा था कि साँप पीछा करे तो क्या करना चाहिये? तो जवाब है कि साँप पीछा नहीं करते। यह स्टंट सिर्फ फिल्मों की देन है। न साँप पीछा करते हैं न बदला लेते हैं, न टारगेट बनाते हैं। साँप, सरीसृप वर्ग का जीव है जिनके मस्तिष्क के वो हिस्से जिनमें भावनाएं और सोच उतपन्न होती है, नहीं होते। उनका सेरेब्रल कोर्टेक्स न के बराबर होता है। एक अजगर जैसे विशाल सांप का दिमाग भी मटर के दाने जैसा होता है। उसमें बेसिक कामों के अलावे अन्य क्रियाओं के लिए स्कोप नहीं होती। इसलिए साँप न इमोशनल होता है, न आपको पहचान सकता है, न पीछा करता है, न टारगेट बनाता है, न इंटेंशनली काटता है। न उसमें बदले की भावना होती है। ऐसा कोई न होगा जिसने न सुना हो कि साँप आंखों में फ़ोटो खींच लेता है, जिसे उसका साथी आकर देख लेता है और उसी आधार पर दुश्मन को ढूंढ कर मार डालता है। इसलिये लोग, मारे गए सर्प का मुँह कुचलने की सलाह एकमत से देते हुए मिल जाएंगे। जबकि ये एक निरा भ्रांति है। एक तो साँप की नजर कमजोर होती है, विषैले साँपों खासकर करैत, नाग और वाईपर की नजर और कमजोर होती है। ये खुद तो ठीक से देख नहीं पाता, फ़ोटो क्या खींचेगा और क्या किसी को दिखायेगा! इसलिए ये एकदम गलत तथ्य है कि साँप पीछा करता है या बदला लेता है। साँप सिर्फ अपने भोजन का पीछा करता है, डंसता है, उसके मरने की प्रतीक्षा करता है और निगल जाता है। आदमी या बड़े जानवरों को देखकर भागता है या छुप जाता है, छेड़ने पर चेतावनी देता है और कुचले या पकड़े जाने पर काट लेता है। एक बात और है। काटने से पहले साँप जहाँ पोजीशन लेता है, उस से आगे नहीं बढ़ता, वो अपनी जगह पर डटा रहता है। अगर आप उसके पहुँच के घेरे में इंटरफेयर करेंगे, तभी काटता है। करैत छोड़कर, नाग और रसेल वाईपर काटने से पहले बहुत चेताते हैं। नाग फुफकारता है, रसेल कुकर की सिटी जैसी आवाज काढता है, फिर भी नहीं माने तो काटता है पर जहर नहीं छोड़ता। विषैले सर्प जहर शिकार के लिए बचा के रखते हैं और आदमी में तभी इंजेक्ट करते हैं जब उन्हें प्राणों पर खतरा महसूस हो रहा हो। भारत के चार प्रमुख जहरीले साँप करैत, नाग, रसेल वाईपर और सॉ स्केल वाईपर है जिसमें सिर्फ सॉ स्केल ही थोड़ा अग्रेसिव है और बढ़-चढ़ कर काटता है। बाकी के तीन काटने के मामले में काफी धैर्यशील हैं। करैत, लाइट पड़ने या छेड़े जाने पर स्थिर हो जाता है। दबने पर काट लेता है। कोबरा, शुरू में भागता है पर भागने की जगह न होने पर फन उठा कर खड़ा हो जाता है। फिर वो भागता नहीं, फुफकार कर चेतावनी देता रहता है। खास कर नर कोबरा। रसेल वाईपर s आकार या जलेबी की तरह आकार बना कर सिर को छुपा लेता है, और कुकर की तरह सिटी बजाता है। ऐसी स्थिति में उस से बिल्कुल दूर चले जाना चाहिए अन्यथा वह अपनी लम्बाई के बराबर तक उछलकर काट सकता है। सॉ-स्केल वाईपर अर्ध चंद्राकार स्टांस बनाता है। यह साँप जितना छोटा है उतना ही आक्रामक । ये अपने शरीर के शल्कों को रगड़कर चेतावनी देता है। अगर पास गए तो आगे बढ़कर भी काट सकता है। इस तरह हमने देखा कि साँप किसी को (शिकार छोड़कर) जान-बूझ कर नहीं काटते। कई ऐसे जीव हैं जो इंसान पर अकारण हमला कर देते हैं। पर साँप नहीं। इसलिये यह भ्रम दूर कर लें कि साँप दुष्ट होता है, काटने के लिए घर में आता है, या उसे डंसने में मजा आता है। जो मारने की क्षमता रखकर भी आपको मारे नहीं, हमला के बजाय सिर्फ अपना बचाव करे, छेड़ने पर बार-बार चेतावनी दे, काटे भी तो जल्दी मारने की नीयत से न काटे, मुँह में जहर भरा होने के बावजूद जल्दी उगले नहीं, अगर ऐसा कोई व्यक्ति हो और आप उसे जेंटलमैन कहते हैं तो साँप एक दुष्ट प्राणी नहीं, जेंटलमैन है। साँप सिर्फ शिकार के चक्कर में खासकर चूहों के फिराक में घर मे आता है। साँपों से दूर रहिये, साँप पर्यावरण के मित्र हैं, उन्हें मारिये मत, अपने घर से दूर भगा दीजिये। और अगर गलती से भी सर्प-दंश हो जाये, तो वैद्य-जड़ी-झाड़-फूंक में समय मत गंवाइए। तुरंत हॉस्पिटल जाइये, जितनी जल्दी हॉस्पिटल पहुचेंगे, जान बचने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। हर काला साँप करैत नहीं होता। भारत के 4 सबसे जहरीले साँपों में से सबसे खतरनाक साँप करैत के पहचान और उपचार। विमर्श किताबों से अलग और व्यवहारिकता पर आधारित हो, प्रयास यही है। सर्प दंश होने पर जो करैत को पहचान ले, यूँ समझें कि उसका आधा इलाज हो गया। इस सर्प के मामले में जितनी जल्दी दंश का पता चल जाये और सांप की पहचान हो जाये, बचना उतना ही आसान हो जाता है। वरना इस सर्प के काटने से 100% मौत निश्चित है क्योंकि यह सांप फाल्स बाईट नहीं करता। अगर लगातार 3-4 लोगों को भी काटे तब भी सब में विष इंजेक्ट करता जाएगा। इसलिए इसके काट में वैद्य या जड़ी से इलाज का चांस बिल्कुल न लें। सबसे पहले साँप का आकार ही सांप की पहचान का पहला जरिया है। करैत की लंबाई 3-4 फ़ीट होती है। अगर काफी दिन का हो गया हो तो अधिकतम पाँच-साढ़े पाँच फ़ीट तक लम्बाई जा सकती है पर यह रेयर है। करैत के अलावे नाग, कॉमन वुल्फ स्नेक की एक वेरायटी, कभी-कभी नर धामिन जिसका केंचुल पुराना हो गया हो, काले होते हैं। पर करैत का कालापन हल्का नीलापन लिए चमकीला होता है। ऐसा लगता है जैसे जस्ट केंचुल छोड़ा हो। अन्य सांप केंचुल छोड़ने के बाद जितने चमकीले होते हैं उतना ये ऐसे ही होता है। यह सांप कितना भी लम्बा हो ले, पतला ही रहता है। ज्यादा मोटा नहीं होता। देखने मे नाजुक सा लगता है। इसके ऊपर उजले रंग की दोहरी धारियाँ कुछ-कुछ दूरी पर समानांतर शरीर को गोल-गोल छल्ले के रूप में घेरे रखती हैं। बढ़ती लम्बाई और उम्र के साथ यह धारियाँ हल्की होती जाती हैं पर मिटती कभी नहीं हैं। बहुत लोग किसी भी काले सांप को करैत समझ लेते हैं। लेकिन जान लीजिए, की करैत कितना भी पुराना हो जाये उसके ऊपर उजला रंग धारी अन्यथा डॉट के रूप में जरूर रहता है। साथ ही इसका मुँह बिल्कुल गहरा काला और बेडौल आकार का होता है। मतलब न तो चौकोर, न तिकोना। और श्वेत धारियाँ हमेशा गर्दन पर मुँह से कुछ दूर से शुरू होती हैं। यह ऊपर से बिल्कुल काला और उसका निचला भाग सफेद होता है। यह साँप फुफकारता नहीं है। इसके क्रोधित होने की जानकारी इसके जीभ से मिलती है। इसकी जीभ बिल्कुल गुलाबी होती है और अगर यह बार-बार अपनी गुलाबी जीभ निकाले तो समझ जाएं कि सांप गुस्से में है और काटेगा। दिन में ये साँप कभी नहीं निकलता । वैसे सारे जहरीले सांप रात में ही निकलना पसन्द करते हैं पर यह सांप उन सब मे सबसे ज्यादा रात्रिचर है। दिन भर बिल में छुपा रहता है। इसे न ज्यादा गर्मी पसन्द है न ज्यादा ठंढ। देर रात, ठंढे बिल से निकलने के बाद यह गर्मी की तलाश में बिस्तर में घुस जाता है। वहां सोए इंसान की देह और सांस से निकलती गर्मी इसे पसन्द आती है। इसी बीच करवट फेरने या हाथ-पैर से दबने पर यह काट लेता है। सोए हुए आदमी को पता भी नहीं चलता न दर्द होता है। न दांत के निशान बनते हैं क्योंकि इसके दांत बहुत छोटे, पतले और मुंह के थोड़े अंदर होते हैं। इसके 80% बाईट बिस्तर में होते हैं। 1-2 घण्टे बाद पेट मे ऐंठन, नसों में जलन, जोड़ों में दर्द होता है। अगर रात में इस तरह के लक्षण शरीर मे प्रकट हों और वह आदमी ऐसी जगह रहता है जहां ये साँप देखे गए हैं तो ऐसा होने पर तुरंत उठकर उसे अपने बिस्तर और रूम को चेक करना चाहिए। विषैले सांप काटने के बाद सुस्त पड़ जाते हैं। (पता है ऐसा क्यों होता है?) खास कर करैत तो पक्का वहीं कहीं छुपा हुआ मिल जाएगा। उसकी फोटो ले लेनी चाहिए ताकि डॉक्टर को इलाज निर्धारित करने में सहूलियत हो। अगर करैत का काटा हुआ स्थान मिल जाता है तो उसे डेटॉल से धोकर उसके थोड़ा ऊपर गरम् पट्टी को लपेट कर दूर तक बांध दें। एक जगह गांठ मत लगाएं। चीरा भी मत लगाएं। मरीज को बिल्कुल हिलने न दें, न सोने दें। पानी खूब पिलाएं। जिस अंग में काटा है उसे बिल्कुल स्थिर रखें। मरीज जितना कम हिलेगा, विष उतना धीरे फैलेगा। किसी भी सांप के काटने पर झाड़-फूंक में समय न गंवाएं। करैत के केस में तो बिल्कुल नहीं। शुरू के 3-4 घण्टे ही जान बचाते हैं। जो इस बीच सरकारी हॉस्पिटल, जहां एन्टी-वेनम मौजूद हो, पहुंच गया, उसकी जान बच गई अन्यथा लेट होने पर डॉक्टर भी जान नहीं बचा पाएंगे। (अभी जिस तरह गर्मी और बारिश हो रही है यह करैत के लिए एयर कंडिशन्ड मौसम है। जिन इलाकों में ये मिलते हैं, खास कर गांवों में रहनेवाले लोग, अभी विशेष सावधानी बरतें।) सुनील कुमार 'सिंक्रेटिक' लेखक 'बनकिस्सा
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