वरिष्ठ कवि प्रभात सरसिज की कुछ कविताएँ
फावड़े का चेहरा बदलते हुए
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इस नगर में
जबकि यह देह अनाज और धूप तेजी से
सूर्य बन अवसान की ओर घिसट रहे हैं
तभी देह की ज्यादा जरूरत है
अनाज की ज्यादा जर...
ईद मुबारक*********हमको,
तुमको,
एक-दूसरे की बाहों में
बँध जाने की
ईद मुबारक।
बँधे-बँधे,
रह एक वृंत पर,
खोल-खोल कर प्रिय पंखुरियाँ
कमल-कमल-सा
खिल जाने की,
रूप-रंग से मुसकाने की
हमको,
तुमको
ईद मुबारक।
और
जगत के
इस जीवन के
खारे पानी ...
भाषा का संरचनात्मक स्वरूप : हिन्दी की जादुई शक्ति
हिन्दी ने सम्पूर्ण राष्ट्रीय चेतना को वाणी प्रदान की है तथा राष्ट्रीय जीवन दर्शन और राष्ट्रीय संस्कृति को अभिव्यंजित किया है। मानव ने श्रृष्टि में व्याप्त ध्वनियों को अपने अहर्निश प्रयास, अभ्यास...
बीता हुआ कल एक यादों का पुलिंदा होता है। उन यादों में कुछ ऐसी यादें भी शामिल होती हैं जिन्हें आप चाह कर भी नहीं भुला पाते। ऐसा हर व्यक्ति के जीवन में होता है। आज मैं भी अपने यादों के झरोखे से एक ऐसी घटना को निकाल रहा हूं जिसे मैं भूल नहीं पाता। ...
गधा रहा गधा ही - पंचतन्त्र सेएक जंगल में एक शेर रहता था। गीदड उसका सेवक था। जोडी अच्छी थी। शेरों के समाज में तो उस शेर की कोई इज्जत नहीं थी, क्योंकि वह जवानी में सभी दूसरे शेरों से युद्ध हार चुका था, इसलिए वह अलग-थलग रहता था। उसे गीदड जैसे चमचे की सख...
धारावाहिक उपन्यास
"मेरा पता कोई और है" भाग - 16
हिन्दी कल्चर बुकलेट पर सप्ताह में सोमवार से शनिवार तक आप पढ़ सकते हैं उपन्यास, धारावाहिक की तरह। इस बार का उपन्यास है 'मेरा पता कोई और है'। उपन्यासकार हैं कविता जो पिछले दो दशकों से कथा जगत में अपन...